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सहकारिता पीएस के संज्ञान में मामला आने के बाद बैंक जीएम रावत ने तत्काल किया सस्पेंड

सहकारिता पीएस के संज्ञान में मामला आने के बाद बैंक जीएम रावत ने तत्काल किया सस्पेंड।।

सालों से बैंक संचालक मण्डल का चहेता था अजय असाटी, लोकायुक्त में होगी शिकायत।।

छतरपुर। जिले के बिजावर सहकारी बैंक में शाखा प्रबंधक के पद पर शासन के नियमों को दरकिनार कर काफी लंबे समय तक पदस्थ रहे अजय असाटी ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की। बैंक के तत्कालिन अध्यक्ष व प्रशासक करूणेंद्र प्रताप सिंह उर्फ चच्चू का खासमखास माना जाता है। करूणेंद की आज्ञा का पालन करना वह अपना प्रथम कर्तव्य मानता था। इस दौरान जिले भर में बैंक अध्यक्ष के नाम की अवैध वसूली के लगते रहे आरोप के बाद भी बेफिक्र होकर उगाही करता रहा। अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान जिले की सहकारिता विभाग में वहीं होता था जो अजय असाटी चाहता था। अजय असाटी द्वारा करुणेन्द्र प्रताप सिंह की अध्यक्ष की कार्यकाल में एक बड़े भ्रष्टाचार की नीव रखी गई थी। लेकिन जागरूक नागरिकों और पत्रकारों के हस्तक्षेप के कारण यह नहीं हो पाया इसी मामले को लेकर एक जांच कमेटी बैठी जिसने अजय असाटी को कार्य में लापरवाही का दोषी पाया जिले बाद अजय असाटी को निलंबित कर दिया जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्या में लगभग 6 साल तक सहकारी बैंक बिजावर में शाखा प्रबंधक के पद पर रहे अजय असाटी द्वारा बिजावर में रहते हुए सभी समिति प्रबंधकों से एसडीएम, जेएसओ के नाम के हर महीने बसुलने के आरोप समिति वाले लगाते रहे है। बिजावर शाखा के अंतर्गत कुल 14 समितियां है, हर महीने समितियों का राशन सो ट (कम) किया जाता था, ज्यादातर राशन सामग्री को ब्लैक में बेचा जाता था, उसी ब्लैक की राशि से सभी को खुश किया जाता था, आरोप लगते रहते थे। इन्होंने अध्यक्ष के नाम लाखों की वसूली जबरदस्ती की, नही तो शाम को अध्यक्ष के यहां क्लास लग जाती थी। बिजावर ब्रांच में करीब 6 साल का विवादित कार्यकाल रहा। शासन के सारे नियमों को संचालक मण्डल के कार्यकाल में दर किनार कर दिए जाते थे। बिजावर ब्रांच में करीब 6 साल के कार्यकाल करोड़ों का भ्रष्टाचार करने के आरोप है। मुख्यमंत्री ब्याज माफी योजना में करोड़ों का घोटाला हुआ था। भ्रष्टाचार की जांच के लिए 3 अलग अलग टीम बनी थी, जिसमे कलेक्टर ने तहसीलदार, जेआर सागर ने डीआर ऑफिस और जिला सहकारी बैंक ने अपने दल से जांच कराई थी। भ्रष्टाचार में लिप्त अजय असाटी को काफी समय पहले जेआर सागर द्वारा हटाने को लिखा था, लेकिन संचालक मंडल के सबसे करीबी होने के चलते अभी हटाया गया। आज के समय अजय असाटी के पास आय से कई गुना अधिक संपत्ति होने का दावा सहकारिता वाले कर रहे है। बहुत जल्द हो सकती है लोकायुक्त में आए से अधिक संपत्ति की शिकायत। इस जांच को कई महीने से मुख्य कार्यपालन अधिकारी दबाए रखे हुए थे, जब कलेक्टर को बैंक प्रशासक बनाया गया, और सहकारिता पीएस भोपाल दीपाली रस्तोगी के संज्ञान में भ्रष्टाचार आया, तब मुख्यकार्यपालन अधिकारी ने अपनी कुर्सी और कलम बचाई। 8 जनवरी की जांच में दोषी मानते हुए तत्काल सस्पेंड कर मुख्यालय नौगांव किया था।

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