धडल्ले से विक रहा नकली देशी घी प्रशासन को होश नही।
इंसान ही नहीं भगवान को भी धोखा।।
स्वार्थ के चलते विभागीय अधिकारियों की उदासीनता और निगरानी तंत्र के कमजोर होने के चलते क्षेत्र में नकली धी की सप्लाई की जा रही। इतना हि नहीं कार्यवाही के अभाव में चर्बी से बना नकली शुद्ध धी की सप्लाई होने की चर्चा भी सामने आ रही है। झांसी उत्तर प्रदेश के धंधेबाजों के तार छतरपुर जिले तक जुड़े हुये है ।जो चर्बी से बने धी की सप्लाई कर रहे हैं और अफसरों पर भी इस चर्बी की पर्त चढ़ी हुई है ।
नौगांव/ शुद्ध देशी घी का सेवन हम विभिन्न चीजों के साथ करते है ।आज के समय में हम में से अधिकांश लोगों के रसोई घरों में रहता है ।शुद्ध घी निर्माण गाय भैंस के दूध से होता है। लेकिन आज के समय में विभिन्न कंपनियां बाजारों में डिब्बा बंद पैकेट में घी बेच रही है ।नकली धी को लेकर काफी शिकायते आ रही है। पूरे जिले भर में जिस तरह सप्लाई हो रही है ।उससे लगता है कि आम इंसान की थाली में जहर धुल चुका होगा । बताया जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर चर्बी से बने घी की सप्लाई की जाती है। जो झांसी से छतरपुर लाया जाता है। जिसे कुछ चुनिंदा होलसेलर दुकानदारों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की दुकानों तक पहुंचाया जाता है। नकली घी के युग पर गौर करें तो वर्ष 2000 में 2009 के बीच नकली धी बनाने और बेचने वालों का बोलबाला था। उस समय कुछ हद तक मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शक्ति की जा रही थी ।
*भगवान के साथ होगा*= भगवान लिये 160रूपये व खाने वाले को 400रुपये किलो मे मिल शुद्ध घी के नाम पर इंसान ही नहीं भगवान को भी धोखा देने में माफिया पीछे नहीं हट रहे। यह धी किसी काम का नहीं होता। बल्कि दूसरे ब्रांडों के लोगो का इस्तेमाल किया जा रहा है। *लालच* =
बिशषज्ञो ने बताया कि नकली घी बनाने में 60 से 100 रूपये खर्च किलो खर्च आता है ।और यह हौलसेल में 180 से 200रूपये तक में बिकता है इसे दुकानदार 250 से 300 रूपये तक बेचते हैं। यदि ब्रांडेड डिब्बा बंद धी की बात करें तो यह 350 से400रूपये मे और डेयरी पर 600से 700 रुपये प्रति किलो बेचा जाता है।इस धंधे में जुड़े लोग क्षेत्र के चुनिंदा हौलसेलर दुकानदारों तक सप्लाई करते है। और होलसेलर फुटकर दुकानदारों तक पहुंचते है। लेकिन निगरानी तंत्र की कमी व विभागीय अधिकारियों के स्वहित के चलते थोक दुकानदारों को कानून का जरा सा भी डर नहीं है ।नतीजा छतरपुर नौगांव हरपालपुर क्षेत्र में नकली घी की सप्लाई की जारी है। तो वहीं चर्बी से बना धी ग्रामीण इलाकों की दुकानों तक पहुंच रहा है।
हेल्थ एक्सपर्ट=
हेल्थ एक्सपर्ट की मान तो नकली धी बनाने में रंग एसेस पाॅमआयल और वनस्पति धी का प्रयोग किया जाता है और दिखावे के लिये थोड़ा सा असली धी भी डाला जाता है। *
पहचान =असली है या नकली इसकी पहचान के लिये एक बर्तन में एक चम्मच घी डाले। बर्तन में 1/2 चम्मच नमक के साथ 1,2 बूंद हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर ले व 20 मिनट तक छोड़ दे। यदि घी लाल या कोई और रंग का दिखाई देता है ।तो वह है नकली है ।
स्वास्थ एक्सपर्ट =स्वास्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि इन चीजों के खाने से किडनी लीवर और दिल पर असर पड़ता है। पिछले कुछ सालों में शहरों में शुद्ध घी खाने का ट्रेंड चल गया है ।और इस ट्रेड को मिलावट खोरो ने समझा और लग गये अपने धंधे पर।
*हौसले बुलंद*= विभागीय अधिकारियों द्वारा सतत् निगरानी की कमी व स्वहित के चलते ठोस कार्यवाहीीं नही होने से मिलावट खोरों के हौसले बुलंद है। जिसका नतीजा है की चर्बी से बना घी की सप्लाई भी की जा रही है ।इस धंधे से जुड़े रहे दुकानदार की कही बातों पर गौर किया जाये तो चर्बी से बना घी झांसी क्षेत्र से आ रहा है। जिसे ग्रामीण इलाकों की दुकानों पर पहुंचाया जाता है। लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारियों में नैतिकता होगी तो कार्यवाही की जायेगी। और नहीं होती तो यही कहा जायेगा कि नैतिकता का पतन हो गया है।
धडल्ले से विक रहा नकली देशी घी प्रशासन को होश नही।इंसान ही नहीं भगवान को भी धोखा।।
March 01, 2024
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